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आईना है तो शीशे का टुकड़ा, अगर हाथों से फिसला तो,

आईना है तो शीशे का टुकड़ा,
अगर हाथों से फिसला तो,
टूटता है पल भर में,
चुभता है आईना दो मुखौटे वाले को,
क्योंकि यह दिखाता है, 
उसको असली चेहरा उसका ही। 

-Nitesh Prajapati 
 नमस्कार लेखकों! ✨

अप्रैल का महीना कविता लेखन के लिए मशहूर है इसलिए इस महीने में हम आपको रोज़ एक विषय देंगे जिस पर आपको अपनी काव्य की संरचना करनी है।

हमारा आज का #rznapowrimoh8 के साथ collab करें और अपने शब्दों द्वारा कविता अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पाने का! ❤️

समय सीमा : 8 अप्रैल, सुबह 9:30 बजे तक।
आईना है तो शीशे का टुकड़ा,
अगर हाथों से फिसला तो,
टूटता है पल भर में,
चुभता है आईना दो मुखौटे वाले को,
क्योंकि यह दिखाता है, 
उसको असली चेहरा उसका ही। 

-Nitesh Prajapati 
 नमस्कार लेखकों! ✨

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