Vote वो गलियां-तेरी गलियां। है जो वादे तेरे इश्क के। हुए है जो इरादे तेरे इश्क के। इश्क का सुहाना समा घिरने। नैना मेरे-नैना तेरे ऐसे मिलने लगे। आजा वे इश्क की नापूं पगडंडियाँ।। तेरे अक्स को खयालों में संजोया रहूं। तुमसे दिल जो लगी, हर पल खोया रहूं। मीठे-मीठे आते सपने, मैं सोया रहूं। तेरे लिए-बस तेरे लिए जज़्बातें भिगोया रहूं। नैना तेरे-नैना मेरे, ऐसे मिले गुल खिलने लगे। मैं होश में नारे-ना सुन ले वो रे पिया।। भीगे-भीगे लमहों की लहर आ गयी है। मैं हूं तेरी चाहतों में, तू ऐसे शर्मा गयी है। नैना मिले है चाहतों में ,दिल तू धड़का गयी है। सपने सुहाने पिया मिलन की घङी आ गयी है। कब के सहेजे सपने अब तो आके मिलने लगे। तू चली ऐसे ,वैरन पिया रे धड़काए जिया।। गलियां तेरी गलियां, इश्क की ले लूं फेरे। वादे तेरे इश्क के, रटूँ तुम्हें पिया अहले-सबेरे। तेरे चाहतों के बादल बरसते ऐसे जो घनेरे । रिश्ता बंधा सा अब है, अब तो पिया तेरे-मेरे। कब के अरमानों के रखे चादर अब सिलने लगे। आओ तो तुमको घुमा दूं इश्क की पगडंडियां।। ©Madanmohan Thakur (मैत्रेय) दिल का चुनाव,इश्के किताब #voting