अनंत यात्रा है ये इसकी कोई मंजिल नही यात्रा ही मंजिल है यात्रा का हर कदम मंजिल हैअगर हम यात्रा के हर कदम कों उसकी परिपूर्णिन्ता में जीये तो फिर कही और मंजिल नही यही है अभी है वर्तमान में है भविष्य में नही वो हमारे बोध में है हमारे बोध की समग्रता में है ©Parasram Arora यात्रा बनाम मंजिल