काग बनकर ये जवानी उड़ रही है जो बिता ये बचपन कहानी उड़ रही है खड़े जवानी की सड़कें ना जाने कहाँ सड़क रही है देखो बुढ़ापे की सफेदी कुछ दाँते हिल रही है जैसे बनकर दिये कपूर जल रही है रोशनी कहाँ है सब बन उड़ रही है मुझे तो समझ नही आ रहा कैसा ये जीवन चल रही है.! ©Ram babu Ray काग बनकर ये जवानी उड़ रही है जो बिता ये #बचपन कहानी उड़ रही है खड़े जवानी की सड़कें ना जाने कहाँ सड़क रही है देखो #बुढ़ापे की #सफेदी कुछ दाँते हिल रही है