गहरी नींद में सोया था ख्वाबों में खोया था बादलों की ओट से अवतरित हुई एक धुंधली धुंधली सी छाया। दूधिया वस्त्रों से लिपटी थी उसकी कंचन काया चेहरे पर था गजब का नूर लगती थी जैसे कोई हूर उसकी छोटी छोटी आंखे चेहरे पर अठखेलियां करते उसके खूब सूरत बाल। होठ तो थे बिलकुल ही निशब्द पर आंखे बोल रही थी आखिर वो को थी। ©BS NEGI वो कौन थी