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अजीब ही खेल खेल रही हैं कायनात हमसे..... की कभी आ

अजीब ही खेल खेल रही हैं कायनात हमसे..... 
की कभी आँखों से अश्क बहा रही हैं....
तोह कभी होंठों पर मुस्कान बिखेर रही हैं..... 
मालूम नहीं था हासर् ए मोहब्बत..... 
गुमनाम राहो पर चलाये जा रही हैं..... 
बद्गुमाँ न हू जहाँ से में क्योंकि.... 
रूसबाई का किस्सा सुनाये जा रही हैं.... 
इस जहाँ की हक़ीक़त ने मुख्तालिफ.... 
कर दिया हमे दुनिया की रीवायतो से..... 
अब तोह बस जन्नत ए मौत का फरमान.... 
सुनाये जा रही हैं..... 
हमें खुद में समाये जा रही हैं..... 
खुद में समाये जा रही हैं......

©Aradhya ehsaas e zindagi #farman 

#Night
अजीब ही खेल खेल रही हैं कायनात हमसे..... 
की कभी आँखों से अश्क बहा रही हैं....
तोह कभी होंठों पर मुस्कान बिखेर रही हैं..... 
मालूम नहीं था हासर् ए मोहब्बत..... 
गुमनाम राहो पर चलाये जा रही हैं..... 
बद्गुमाँ न हू जहाँ से में क्योंकि.... 
रूसबाई का किस्सा सुनाये जा रही हैं.... 
इस जहाँ की हक़ीक़त ने मुख्तालिफ.... 
कर दिया हमे दुनिया की रीवायतो से..... 
अब तोह बस जन्नत ए मौत का फरमान.... 
सुनाये जा रही हैं..... 
हमें खुद में समाये जा रही हैं..... 
खुद में समाये जा रही हैं......

©Aradhya ehsaas e zindagi #farman 

#Night