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#कुण्डलिया छंद# ----------------------------------

#कुण्डलिया छंद#
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1-
लिव-इन में रहने लगे, आज अनगिनत लोग।
वैवाहिक बंधन बिना, जो  करते  सुखभोग।।
जो करते  सुखभोग, नहीं  करते  पर  शादी।
कैसी  इनकी   सोच, और  कैसी  आजादी।।
जिनके निर्णय रोज, बदलते हैं छिन-छिन में।
ऐसे  अस्थिर  चित्त, लोग रहते  लिव-इन में।।
2-
मजबूरी अब है नहीं, सात  जन्म का  साथ।
जब चाहें तब छोड़ दें, हमजोली  का  हाथ।।
हमजोली का हाथ, छोड़ स्वच्छंद  विचरिए।
नित  उन्मुक्त उड़ान, खूब जीवनभर भरिए।।
कर्त्तव्यों  से   मुक्ति,  सभी  रिश्तों  से  दूरी।
लिव  इन  है  मॉडर्न, और   शादी  मजबूरी।।
#हरिओम श्रीवास्तव#

©Hariom Shrivastava #Health
#कुण्डलिया छंद#
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1-
लिव-इन में रहने लगे, आज अनगिनत लोग।
वैवाहिक बंधन बिना, जो  करते  सुखभोग।।
जो करते  सुखभोग, नहीं  करते  पर  शादी।
कैसी  इनकी   सोच, और  कैसी  आजादी।।
जिनके निर्णय रोज, बदलते हैं छिन-छिन में।
ऐसे  अस्थिर  चित्त, लोग रहते  लिव-इन में।।
2-
मजबूरी अब है नहीं, सात  जन्म का  साथ।
जब चाहें तब छोड़ दें, हमजोली  का  हाथ।।
हमजोली का हाथ, छोड़ स्वच्छंद  विचरिए।
नित  उन्मुक्त उड़ान, खूब जीवनभर भरिए।।
कर्त्तव्यों  से   मुक्ति,  सभी  रिश्तों  से  दूरी।
लिव  इन  है  मॉडर्न, और   शादी  मजबूरी।।
#हरिओम श्रीवास्तव#

©Hariom Shrivastava #Health