"अब्बा का तो कहना है कि मैं तो हिंदुओं के जाल में फँसकर सत्यानाश कर रहा हूँ। उनके कहने पर चलता तो आज मुझे कोई अच्छी नौकरी लग गई होती। कहते हैं कि नवाबी के बाद अब तो ज़रा मुस्लिमों के हाथ ताकत आई है। अब भी नहीं लिए जाओगे तुम?" किशोर को हँसी आ गई। इकबाल कहता रहा, "तुम्हें क्या पता कि घर में मेरे बड़े बड़े छुरीबाज हैं। बड़े भाई हैं, चाचा के लड़के, कहेंगे कि भूखों को दो मगर सिर्फ मुस्लिम लीग के ज़रिए..." उसकी हँसी शीशे के टूटने की तरह झनझना उठी, "हिन्दुस्तान!" इकबाल कहते हुए उठा, "या मेरे हिन्दुस्तान! क्या होगा तेरा?" #विषाद_मठ #coronavirus #विषाद_मठ #रांगेय_राघव