सुनो तुम्हारा यूंह चूप रहना अब हमें अच्छा नहीं लगता हैं, मानो अब पूरी दुनिया से खुशियों ने अलविदा कह दिया हैं। रात भर सोचते हैं कि काश वो बात आज़ भी ना हुई होती, जिसकी वजह से आज आप हमसे इतना ख़फा तो ना रहती। लम्हा दर लम्हा बस एक आपका ख़्याल मुझे इस कद्र सताता हैं, जैसे चांद सताता हैं अपनी चांदनी को और छेड़ता कोई धून हैं। तुम्हारा चुप रहना... यह कुछ पंक्ति उसके लिए है जो आज भी मेरे लिए उतना खास हैं, जितना ख़ास इस शरीर को सांस लेना और दिल का धड़कना हैं। नहीं रहा जाता और ना ही सहा जाती हैं अब उनकी यह ख़ामोशी, पल पल ऐसा लगता हैं की मेरा सब कुछ छीनता रहता हैं आगोशी। मन का बुरा हाल हैं जो ना कोई समझ सकता हैं और ना समझाया जा सकता हैं,