ले संकल्प विहीन समर्पण आशाओं के उद्वेग का कर तर्पण, प्रेमसुधा निधि की मैने सृजित अंतस भावों को की इसे अर्पित आनंदकोश की अनमोल निधि मिलगई मुझे ऐ करुणानिधि शरण आपके आया नाथ कर समर्पित तेरे चरणों में माथ | हे नाथ