अंतर्मन में द्वंद, परिणीति कलह उत्पन्न चित्त विचलित, मनः शांति छिन्न-भिन्न दोष-सिद्धि का होता भरसक प्रयत्न पर नहीं देखते कभी स्वयं का अंतर्मन विचारों में झलकता फिर उग्र आवेश शीतलता त्याग अग्नि सा तपता है तन क्रोध सूचक है अनिष्ट का जीवन में भृष्ट होती है बुद्धि निरर्थक बनता जीवन #Anger #Uncontolled_Life #Waste_of_Energy