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उचाई पर बनेगा घर किसी का यहाँ भी शाम के मंज़र का

उचाई पर बनेगा घर  किसी का यहाँ भी
शाम के मंज़र का दिवाना कोई रहेगा मेरे जैसा यहाँ भी

नजरें जिनकी मुडती नहीं मेरी तरफ
नजरों में उनकी बोहोत देर तक रहा करता था में भी

पलभर में छुकर लौटा वो आसमान को परींदा
अक्सर सोचता हूँ  छु लुंगा आसमान की उचाईयों को मै भी

करे कोई वादा मिलने का मुझे फिरसे
तन्हाईयों मे वादे पे रेहता हु मिलेगा कोई मुझसे भी उचाई पर बनेगा घर  किसी का यहाँ भी
शाम के मंज़र का दिवाना कोई रहेगा मेरे जैसा यहाँ भी
#Zindagi
उचाई पर बनेगा घर  किसी का यहाँ भी
शाम के मंज़र का दिवाना कोई रहेगा मेरे जैसा यहाँ भी

नजरें जिनकी मुडती नहीं मेरी तरफ
नजरों में उनकी बोहोत देर तक रहा करता था में भी

पलभर में छुकर लौटा वो आसमान को परींदा
अक्सर सोचता हूँ  छु लुंगा आसमान की उचाईयों को मै भी

करे कोई वादा मिलने का मुझे फिरसे
तन्हाईयों मे वादे पे रेहता हु मिलेगा कोई मुझसे भी उचाई पर बनेगा घर  किसी का यहाँ भी
शाम के मंज़र का दिवाना कोई रहेगा मेरे जैसा यहाँ भी
#Zindagi