वो बेपनाह मृग कस्तूरी की खुशबु ता-उम्र किसी और में खोजती रही,,,,,, हम मोहब्बत थे उसकी ये जान कर भी वो, गैरों में अपनी जिंदगी खोजती रही। ------प्रवीण