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दिवाली, इश्क़, और वो (कविता अनुशीर्षक में पढ़िए) जग

दिवाली, इश्क़, और वो

(कविता अनुशीर्षक में पढ़िए) जगमग देखो रात है औ' तारों की बारात है,
भले कितने दूर है, हम दोनों मगर पास है।
ये पहली दीवाली है, दोनों के लिए खास है,
हर दिवाली बीते साथ में, दोनों की आस है।
तुम्हारी मांग में सिंदूर हो, जाँ मेरे नाम का,
उम्र मेरी सारी बीत जाए, बस तेरे साथ में।

खूबसूरत बड़ी ही कजरारी आँखें हैं उसकी,
दिवाली, इश्क़, और वो

(कविता अनुशीर्षक में पढ़िए) जगमग देखो रात है औ' तारों की बारात है,
भले कितने दूर है, हम दोनों मगर पास है।
ये पहली दीवाली है, दोनों के लिए खास है,
हर दिवाली बीते साथ में, दोनों की आस है।
तुम्हारी मांग में सिंदूर हो, जाँ मेरे नाम का,
उम्र मेरी सारी बीत जाए, बस तेरे साथ में।

खूबसूरत बड़ी ही कजरारी आँखें हैं उसकी,