नैनों से बरसे शब्दों की हकीकत मैं यूं बताता हूं। कोरे कागज सी है जिंदगी पर आशियां तूफानों में बनाता हू। बहती कागज की नाव पर सवारी यूं मैं बैठाता हूं कि उफनते दरिया को भी उसकी औकात दिखाता हूं। अधरों में अपने मौन लिए मैं हालातों को बताता हूं उठापटक जिंदगी के तो देख लिए, अब खुद सर्कस चलाता हूं ©UvVishal Dixit #uv#zindagi #lovebond