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यश ------ माँ की ममता है तू विलक्षण क्षमता है तू

यश
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माँ की ममता है तू विलक्षण क्षमता है तू

रब का बंदा है तू फिर क्यों शर्मिंदा है तू

तेरे सर पर रहमत है उस रब का ख़ुशियाँ जो बाँटे तू वो क़ामयाब करतब है इस जग का

तेरी अदा में नूर है अभिनय का तेरी रूह से वंचित रहे अंश भय का

रुतबा हो रुबाब हो रौशन रहे दुनिया तेरी जैसे कोई महताब हो हर ख़्वाब और ख़्वाहिश आबाद हो तेरी जैसे कोई आफ़ताब हो

मनीष राज

©Manish Raaj
  #यश