मैंने सच को करीब से देखा है, मासूमों में भी बदनसीब देखा है, सुनता हूं इनमें भगवान होते है, फिर क्यों इन्हे तिरस्कृत देखा है, तुम्हे इनसे क्या ये कौन सी अपनी है, इनसे कौन सी जुड़ती तुम्हारी कड़ी है, तुम्हारे लिए तो बस आफत बड़ी है, सच में तुम्हें तो सिर्फ अपनी पड़ी है। यहां कौन खुश है जलती मशानों में, और कहां पाकीज़गी है उठती आजानों में, मन्दिर का पट बिना मंत्र भी कहां खुलता है, लोगों से खतरा हो जिसे वो भगवान कहा मिलता है, गिरजों में भी वो शांति कहां है, और वर दे इंसानियत का वो गुरुद्वार कहां है, मैंने छटपटाते उस बालक को सरेआम देखा है, नसीब कैसे कहें उसके हाथों में भी तो रेखा है, तुम्हारी खुशियां तो बस तुमसे जुड़ी है, और इसमें ही तुम्हारी तृष्णगी खड़ी है, तुम्हे तो सिर्फ अपनी पड़ी है। तुम्हें अपनी पड़ी है यहाँ आफ़त बड़ी है। #अपनीपड़ीहै #collab #yqdidi #yourquoteandmine Collaborating with YourQuote Didi #yqbhaskar