#सिगरेट_और_तुम एक सिगरेट और एक तू , अदब सा संबंध है दोनों में | आहिस्ते-आहिस्ते, तू भी जला डाली मेरे सीने को | जैसे जला डालती है, सिगरेट! पीने वाले के फेफ़डे़ को | हाँ! गलती मेरी थी, मैंने ही लगाया था तुझे सीने से | जैसे लोग..... लगाते हैं सिगरेट, अपने होठों से | और खुद ही..... दम भर खींचता है धुंआ उसके अंत तक, अपने में | हाँ! मैंने भी खींचा, तुझे अपनी ओर | पर....तुम थोड़ा अलग थी, उस सिगरेट से | वो खुद के अंत तक.... जलती रही किसी के होंठो से लग कर | और तुम जलाती रही, मुझे ही, मेरे अंत होने तक | - राहुल कुमार विद्यार्थी 17/12/2019