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​सोलह सोमवार की, ​इक साँझ को, ​दिल की, ​दहलीज पर अ

​सोलह सोमवार की,
​इक साँझ को,
​दिल की,
​दहलीज पर अपनी,
​बैठी वो,
​गिन रही थी,
​अँगुलियों के पोरों पर,
​अपने सत्रहवें सावन मे,
​बरसी बारिश की उन बूँदों को,
​जो मन के अहाते में,
​सोते समय,
​गिरी थीं,
​इच्छाओं की टूटी खपरैल से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#अपराजिता

​सोलह सोमवार की,
​इक साँझ को,
​दिल की,
​दहलीज पर अपनी,
​सोलह सोमवार की,
​इक साँझ को,
​दिल की,
​दहलीज पर अपनी,
​बैठी वो,
​गिन रही थी,
​अँगुलियों के पोरों पर,
​अपने सत्रहवें सावन मे,
​बरसी बारिश की उन बूँदों को,
​जो मन के अहाते में,
​सोते समय,
​गिरी थीं,
​इच्छाओं की टूटी खपरैल से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#अपराजिता

​सोलह सोमवार की,
​इक साँझ को,
​दिल की,
​दहलीज पर अपनी,
akalfaaz9449

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