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देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर। क्या बुरा

देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर।
क्या बुरा क्या खूबसूरत, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

दिन में हैं तारे चमकते, और धूप काली रात को।
चांद के इस चांदनी को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

बंद कमरो की हकीकत, चौराहों के झूठ को।
कोर्ट के हर फैसले को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

 प्राकृतिक सौंदर्य कितना, ये पता है कैमरे को।
फूल भँवरे के मिलन को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

नींद आँखों से छिनी, अब देखते बस चित्र को।
क्या फसाना है हकीकत, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

कुशल प्रहरी बन चुका है, खोजता ये चोर को।
अब राज ने हर राज को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

समाचारों की दुनिया में, दिखा रहा सच झूठ को।
अच्छी खासी राजनीति को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर।
क्या बुरा क्या खूबसूरत, छोड़ डाला कैमरे पर।।

©राजेश कुशवाहा देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर।
क्या बुरा क्या खूबसूरत, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

दिन में हैं तारे चमकते, और धूप काली रात को।
चांद के इस चांदनी को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।
देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर।
क्या बुरा क्या खूबसूरत, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

दिन में हैं तारे चमकते, और धूप काली रात को।
चांद के इस चांदनी को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

बंद कमरो की हकीकत, चौराहों के झूठ को।
कोर्ट के हर फैसले को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

 प्राकृतिक सौंदर्य कितना, ये पता है कैमरे को।
फूल भँवरे के मिलन को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

नींद आँखों से छिनी, अब देखते बस चित्र को।
क्या फसाना है हकीकत, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

कुशल प्रहरी बन चुका है, खोजता ये चोर को।
अब राज ने हर राज को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

समाचारों की दुनिया में, दिखा रहा सच झूठ को।
अच्छी खासी राजनीति को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर।
क्या बुरा क्या खूबसूरत, छोड़ डाला कैमरे पर।।

©राजेश कुशवाहा देखना नजरों का सबने, छोड़ डाला कैमरे पर।
क्या बुरा क्या खूबसूरत, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।

दिन में हैं तारे चमकते, और धूप काली रात को।
चांद के इस चांदनी को, छोड़ डाला कैमरे पर।।
देखना नजरों का सबने.....।।