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मिट्टी का सानिध्य पा कर बीज की सख्त खोल से बिछ

मिट्टी का सानिध्य पा कर  बीज की  सख्त खोल  से 
बिछड़ कर 
एक नवजात  पौधा   वृक्ष   बनने की राह पर  चल दिया था 
अपने  अंदर क़े आक्रोश  और करुणा क़े ज्वालामुखी  को 
उसने कई  बार  महसूसा  था उसने ज़ब  आँधियो. ने 
हिला  हिला कर उसे  कई बार अधमरा कर दिया था 
ढेरों   मुसीबतो  क़े  सातय्त  को  जीते  जीते  आखिर  एक  दिन  वो शैशव क़े  झूले से   छलांग  लगा  कर  बेरहम    थपेड़ो को झेल पाने  मे 
अब वो  आश्वस्त था  की विकासमान विश्व  क़े जीवंत 
प्रवाह  से उसे कोई. पृथक  नहीं  कर पायेगा #छलांग.....
मिट्टी का सानिध्य पा कर  बीज की  सख्त खोल  से 
बिछड़ कर 
एक नवजात  पौधा   वृक्ष   बनने की राह पर  चल दिया था 
अपने  अंदर क़े आक्रोश  और करुणा क़े ज्वालामुखी  को 
उसने कई  बार  महसूसा  था उसने ज़ब  आँधियो. ने 
हिला  हिला कर उसे  कई बार अधमरा कर दिया था 
ढेरों   मुसीबतो  क़े  सातय्त  को  जीते  जीते  आखिर  एक  दिन  वो शैशव क़े  झूले से   छलांग  लगा  कर  बेरहम    थपेड़ो को झेल पाने  मे 
अब वो  आश्वस्त था  की विकासमान विश्व  क़े जीवंत 
प्रवाह  से उसे कोई. पृथक  नहीं  कर पायेगा #छलांग.....