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जानता हूं कि अगर में दरवाज़ा खटखटाऊंगा तो तू खोलेग

जानता हूं कि अगर में दरवाज़ा खटखटाऊंगा तो तू खोलेगी ही नहीं क्युकी बंदिश-ए-कौम़ जो आम है तेरे लिए,
हमारी जिंदगी-ए-मोहब्बत से इस कोम में पैदा हुआ जो तीखापन है कि खत्म होने का नाम ही नही लेता,
ना जाने कितने दरख्तो को जमींदोज कर दिया गया है तेरे दिल को कैद रखने के लिए मजबूत जिंदाना बनाने में,
बहुत कोशिश कर रहा हूं तोड़कर अंदर दाखिल होने की मगर ये मजबूत इस कदर है की टूटने का नाम ही नहीं लेता। #बंदिश_ए_कोम #खटखटाना #ज़िन्दगी_ए_मोहब्बत #तीखापन #दरख़्तों #जमींदोज #ज़िंदाना = कारागृह #दाखिल
जानता हूं कि अगर में दरवाज़ा खटखटाऊंगा तो तू खोलेगी ही नहीं क्युकी बंदिश-ए-कौम़ जो आम है तेरे लिए,
हमारी जिंदगी-ए-मोहब्बत से इस कोम में पैदा हुआ जो तीखापन है कि खत्म होने का नाम ही नही लेता,
ना जाने कितने दरख्तो को जमींदोज कर दिया गया है तेरे दिल को कैद रखने के लिए मजबूत जिंदाना बनाने में,
बहुत कोशिश कर रहा हूं तोड़कर अंदर दाखिल होने की मगर ये मजबूत इस कदर है की टूटने का नाम ही नहीं लेता। #बंदिश_ए_कोम #खटखटाना #ज़िन्दगी_ए_मोहब्बत #तीखापन #दरख़्तों #जमींदोज #ज़िंदाना = कारागृह #दाखिल