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दिल का आलम, क्या बताऊँ तुम्हें, जल रहे हैं इश्क़


दिल का आलम, 
क्या बताऊँ तुम्हें,
जल रहे हैं इश्क़ के शोले,
इस टूटे हुए दिल में।

निस्वार्थ बनकर प्यार किया था मैंने तुझे,
ना रखी थी कोई भी ख़्वाहिश तुमसे,
फिर भी तूने स्वार्थ को गले लगा कर,
तोल दिया मुझे तन्हाइयों के तराजू में।

अच्छे बनने का,
इजाफ़ा मिला मुझे,
किसी को खुशी देने के बदले,
आँसु का तोहफ़ा मिला मुझे।

दिल का आलम, 
अब कैसे बयां करें हम,
जो हमारी ख़ामोशी पढ़ने वाला था,
वही चला गया हमें ख़ामोश बनाकर।

-Nitesh Prajapati  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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दिल का आलम, 
क्या बताऊँ तुम्हें,
जल रहे हैं इश्क़ के शोले,
इस टूटे हुए दिल में।

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ना रखी थी कोई भी ख़्वाहिश तुमसे,
फिर भी तूने स्वार्थ को गले लगा कर,
तोल दिया मुझे तन्हाइयों के तराजू में।

अच्छे बनने का,
इजाफ़ा मिला मुझे,
किसी को खुशी देने के बदले,
आँसु का तोहफ़ा मिला मुझे।

दिल का आलम, 
अब कैसे बयां करें हम,
जो हमारी ख़ामोशी पढ़ने वाला था,
वही चला गया हमें ख़ामोश बनाकर।

-Nitesh Prajapati  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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