इन सितारो कि भीड़ में एक तेरे सिवा कुछ नही खोता हू मैं नज़र को तो कई खामोशियॉ मूद लेती है पर सोता नही हू मैं.. कई दफ़ा बहस तक हो जाती है मेरी उस आसमान से जो कभी खिल-खिलाकर हस तलक देता है एकेलेपन पर सितारो संग चॉद के.. भले कितने वायद़े कर लू तुझसे भला तेरे कैसे नहीं मायूस होता हू मैं हॉ बस कभी जीत पर खुश हो लेता हू पर कभी कभी हार कर तुझसे रोता हू मैं.. कई दफ़ा