इश्क में अब वो नजारे नही मिलते, सीधे बात होती है इशारे नही मिलते, उसे मुझसे चाँद की ख्वाईश थी, हैसियत से तो मेरी तारे नही मिलते । उसके जाने का अब गम नही होता, समुन्द्र के दो किनारे नही मिलते । महबूब को यहाँ जल्दी भूल जाते है, मोहब्ब्त में मुझे हारे नही मिलते। हर दोस्त के पास अपना बहाना है, मिलने की बात करते है सारे नही मिलते । मैं थक कर छाँव में बैठना चाहता था, शहर में पेड़ो के सहारे नही मिलते । इश्क में अब वो नजारे नही मिलते, सीधे बात होती है इशारे नही मिलते, उसे मुझसे चाँद की ख्वाईश थी, हैसियत से तो मेरी तारे नही मिलते । उसके जाने का अब गम नही होता, समुन्द्र के दो किनारे नही मिलते ।