अपना तो क्या ही बताऊँ क्या था मैं क्या हो गया वो आह उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया। - अभिमन्यु कमलेश राणा । "ला-मज़हब" अपना तो क्या ही बताऊँ क्या था मैं क्या हो गया वो आह उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया।