जज़्बातों की क़द्र कहाँ विज्ञान में, कितनी ख़ुशी समाहित है अज्ञान में, अंतर्घट से प्रकट हुए अनुभव सारे, है प्रमाण गीता में लिखा पुराण में, भोलापन मन का कोरा काग़ज़ जैसे, लिख लेता हर अक्षर विधि-विधान में, मन की आशा-अभिलाषा बूँदें जैसी, संस्कार हो सृजित श्रेष्ठ संतान में, तत्वज्ञान से ही परमात्म समझ आया, बसता है वह प्रति क्षण मेरे प्राण में, घट में ही दीदार हुआ उसका हरपल, जिसे ढूँढता फिरा मैं सकल जहान में, बिना शांति सुख चैन कहाँ आए गुंजन, मार्ग प्रशस्त किया जग के कल्याण में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #जज़्बातों की क़द्र कहाँ#