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ए समंदर, तुझ सा है हृदय मेरा जिसकी गहराई में दफन र

ए समंदर,
तुझ सा है हृदय मेरा
जिसकी गहराई में
दफन रहतें हैं राज
लहरों सी उमड़ती
ख्यालों की धारा
बाहर शोर कर
डरती जग सारा
अंदर है समेटे
जीवन जलधारा।
समझने को मुझे
कभी बैठो किनारे
समझ आ जायेगा
सुख दुख हमारा।
©अलका मिश्रा

©alka mishra
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