धुआं उठा है सपनो का या खुद से ही सपनो को फूंक दिया या फिर परेशानियों का बोझ बोलकर तलब को औषधि का रूप दिया शौख बोलकर टाल दिया मेरा पैसा है जवाब दिया चल कल से अब नहीं फूकुगा इसके लिए भी जबान दिया लेकिन फिर चौराहे पर जब पनवाड़ी की दुकान दिखी फिर रख उसी होठों में फूकने की चुल आज मची कोई जबान न याद रही बस धुआं धुआं बस धुआं धुआं बस धुएं धुएं की जान बची ©mohabbate navodaya ,❤️vimal gupta #smoke #stopsmoke Sangeeta Yadav zakia aziz