तुम्हें बड़ी खामोशी से प्यार किया है मैंने लफ्ज़ तो तुम ही ले गए थे मेरे वो जो कुछ भी था मेरे हलक़ में बरसों से दफन है उस ही जगह मजाल है कि किसी आहट पर तुम्हारा नाम ज़ुबाँ पर आया हो हाँ, मगर हवा की सरसराहट पर तुमको महसूस किया है मैंने तुम्हारे शहर में नहीं रहता मैं मगर तुम्हारा एक पूरा शहर मैंने अपने दिल में बसा रखा है जहाँ हर मकान में बस एक तुम्हारे होंठों जैसी चुप्पी है एक मेरे जैसा सन्नाटा है इसकी हर गली में तुम्हारा घर है इसके हर घर में तन्हा हूँ ये घर इतने खाली हैं कि मेरी धड़कने भी यहाँ गूँजती रहतीं हैं हर पहर कभी भूल से ही सही आओ शहर अपने और इसके हर घर में चंद लफ्ज़ भर दो तुम्हें बड़ी खामोशी से प्यार किया है मैंने.... ©Ks Vishal o #Love