का कही का लाई हम, चूरा लावा भुंजाई हम, दिया दीपक तेल है महंगा, कैसे दिवाली मनाई हम, का कही का लाई हम...., बड़ी बड़ी उम्मीदें राहय, सपने से भरी निंदे राहय, लागत है सब धरासाई, कैसे दीपक जलाई हम, का कही का लाई हम...., या दुनियां है ऐसी, ठेकेदार की क्या सुनाइब हम, सब ही जानत है सबकी, कहकी कहकी सुनाइब हम, जो होई अब देखा जाई, दिया जरूर जलाइब हम, जो हैं अयोध्या नरेश, उनका घर बुलाइब हम, सबके घर हो धन्य धान, लक्ष्मी जी की कृपा मनाइब हम, का कही का लाई हम.........2 का कही का लाई हम....!