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कुछ धुंधली धुंधली सी यादें जब जमके हुई थीं बरसाते

कुछ धुंधली धुंधली सी यादें 
जब जमके हुई थीं बरसातें

ठिठुर रहे हम बीच सड़क
चाहकर भी मौन न तोड़ सके
चुप चुप दूजे को देख रहे
जब मजदूर आग थे सेंक रहे
अब केवल रह गई बातें
जब जमके हुई थी - - - 

खामोशी में भी सब कुछ था
जो हलचल सी दे जाता था
इक चेहरा दिल मे समा गया
जो भूले भूल न पाता था
अब होंगी न वो मुलाकातें
जब जमके हुई थी- - -  एक कुछ अर्सा पहले लिखा गीत आप सभी हाज़रीन की नज़्र।
कुछ धुंधली धुंधली सी यादें 
जब जमके हुई थीं बरसातें

ठिठुर रहे हम बीच सड़क
चाहकर भी मौन न तोड़ सके
चुप चुप दूजे को देख रहे
जब मजदूर आग थे सेंक रहे
अब केवल रह गई बातें
जब जमके हुई थी - - - 

खामोशी में भी सब कुछ था
जो हलचल सी दे जाता था
इक चेहरा दिल मे समा गया
जो भूले भूल न पाता था
अब होंगी न वो मुलाकातें
जब जमके हुई थी- - -  एक कुछ अर्सा पहले लिखा गीत आप सभी हाज़रीन की नज़्र।