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२२१२--२२१२--२२१२--२२१२ 1जबसे मुहब्बत में उन्हें ह


२२१२--२२१२--२२१२--२२१२
1जबसे मुहब्बत में उन्हें हमको सताना आ गया
उनकी सभी बातों पे हमको मुस्कुराना आ गया।
2 हरपल था उनका तल्ख लहज़ा बस हमारे ही लिये
तबसे हमें हर अश्क पलकों में छुपाना आ गया।
3  हमसे सभी यह पूछते ग़मगीन रहते किस लिये
ये ग़म हमें  हर हाल बातों में उड़ाना आ गया
4  हर इक कली लगती भली तुमको न जाने किसलिये
बाहों में उसकी झूलते तुमको जलाना आ गया।
5  बारूद भर वो बीच में देखो  खुशी से चूर है
हमको भी जलती आग से खुद को बचाना आ गया।
6 तौबा *मधु* करते हैं वो पिछली ख़ताओं की सुना
शायद उन्हें ज़ख्मों पे अब मरहम लगाना आ गया। कभी हमारी ग़ज़लों पर भी गौर कीजिये।
कमेंट भले न सही मोहब्बतें तो दीजिये।

२२१२--२२१२--२२१२--२२१२
1जबसे मुहब्बत में उन्हें हमको सताना आ गया
उनकी सभी बातों पे हमको मुस्कुराना आ गया।
2 हरपल था उनका तल्ख लहज़ा बस हमारे ही लिये
तबसे हमें हर अश्क पलकों में छुपाना आ गया।
3  हमसे सभी यह पूछते ग़मगीन रहते किस लिये
ये ग़म हमें  हर हाल बातों में उड़ाना आ गया
4  हर इक कली लगती भली तुमको न जाने किसलिये
बाहों में उसकी झूलते तुमको जलाना आ गया।
5  बारूद भर वो बीच में देखो  खुशी से चूर है
हमको भी जलती आग से खुद को बचाना आ गया।
6 तौबा *मधु* करते हैं वो पिछली ख़ताओं की सुना
शायद उन्हें ज़ख्मों पे अब मरहम लगाना आ गया। कभी हमारी ग़ज़लों पर भी गौर कीजिये।
कमेंट भले न सही मोहब्बतें तो दीजिये।