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मेरे घरवाले, मेरा ये घर.. जिसके पर्दे आज भी तुम्हा

मेरे घरवाले, मेरा ये घर..
जिसके पर्दे आज भी तुम्हारी पसंद के है.. .
वो खिड़की जिससे गुजरकर हवाएं 
तेरी जुल्फों में खो जाती थी.. 
वो चौखट जिसपर तुमने लगाए 
वो शगुन के टीके..
यहाँ की खुर्सी, ये मेज, मेरी अलमारी..
मेरी नज्मो से भरी ये डायरी..
मेरा ये कमरा जिसे अपना बनाने के ख्वाब बुने थे तुमने..

ये दीवारें, इनपर चढ़ा ये रंग.. 
और इस घर के हर कोने में बसी तेरी आहट..


याद है सब? या भूला बैठी हो इन्हें भी.. मेरी ही तरह..


इन सबसे नाता तोड़, इन्हें छोड़ चली गयी थी तुम..

आजही का दिन था वो.. 

बड़ा मायूस है ये माहे दिसंबर..!!


#अक्षर 
#Soultagged
मेरे घरवाले, मेरा ये घर..
जिसके पर्दे आज भी तुम्हारी पसंद के है.. .
वो खिड़की जिससे गुजरकर हवाएं 
तेरी जुल्फों में खो जाती थी.. 
वो चौखट जिसपर तुमने लगाए 
वो शगुन के टीके..
यहाँ की खुर्सी, ये मेज, मेरी अलमारी..
मेरी नज्मो से भरी ये डायरी..
मेरा ये कमरा जिसे अपना बनाने के ख्वाब बुने थे तुमने..

ये दीवारें, इनपर चढ़ा ये रंग.. 
और इस घर के हर कोने में बसी तेरी आहट..


याद है सब? या भूला बैठी हो इन्हें भी.. मेरी ही तरह..


इन सबसे नाता तोड़, इन्हें छोड़ चली गयी थी तुम..

आजही का दिन था वो.. 

बड़ा मायूस है ये माहे दिसंबर..!!


#अक्षर 
#Soultagged