माह-ए-दिसम्बर में जिंदगी मेरी लगती मकड़ी के जाले सी उलझनों को सलीके से सुलझा कर रखती रही इन्हीं कोशिशों में गुजारे महीने कई हटा कर घने कोहरे को धूप की गर्माहट दी कुदरत ने घरौंदे में मोतियों की सजावट की मुझ पर ख़ुदा ने रहमतों की बारिश की। ©अलका मिश्रा ©alka mishra #web