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बेटी मेरी बेटी अगर तू मेरे दिल तक राह बना कर आ स

बेटी   मेरी बेटी
अगर तू मेरे दिल तक राह बना कर आ सके
तो आ और मिल मुझे
किसी जवान गुलमोहर के नीचे तुझे गोद में बिठाकर
ऐक दुनिया दिखाउंगा जहां मैने तेरे जिस्म की हर बूंद को महफूज़ रखा हुआ है
मेरी बेटी 
मैं तुझे नाज़ से पालता, तेरे तेज़ चलने पर तेरे पीछे भागना
डाल से बंधा झूला झुलाना
लुका छुपी के बाद जब तू थक जाती
और दफ़आतन मेरी गोद में सर रख कर कहती
'पापा! मम्मा पास जाना है'।
और वक्त हार जाता।
मेरी बेटी
मुझे माफ़ करना,
तू फकत मेरी कोख से जन्मी है, मां की कोख से नहीं
तेरा बीज बोआ गया था बंजर ख़ारी ज़मीन में
अच्छा हुआ तूने जन्म न लिया और बसी रही 
अपने बाप के ज़हन में, अपनी मां की यादों को तो तुम ने देखा ही होगा
और मैं भी तुम में उसी का अक्स देखता हूं।
ख़ैर अच्छा!
मेरी बेटी!
तू भी क्या अपने बाप की तरह लिखती है?
क्या तेरी हथेली पर भी कोई गिलहरी टिकती है?
काश आज तेरी मां हमारे साथ होती।
कभी मिला उसे किसी मोड़ पर, 
किसी और वतन में या किसी और जन्म में, तो उसे ज़रूर बतउंगा
'सुनो हमारी बेटी बिलकुल तुझ जैसी दिखती है।' #बेटी #ताहिर
बेटी   मेरी बेटी
अगर तू मेरे दिल तक राह बना कर आ सके
तो आ और मिल मुझे
किसी जवान गुलमोहर के नीचे तुझे गोद में बिठाकर
ऐक दुनिया दिखाउंगा जहां मैने तेरे जिस्म की हर बूंद को महफूज़ रखा हुआ है
मेरी बेटी 
मैं तुझे नाज़ से पालता, तेरे तेज़ चलने पर तेरे पीछे भागना
डाल से बंधा झूला झुलाना
लुका छुपी के बाद जब तू थक जाती
और दफ़आतन मेरी गोद में सर रख कर कहती
'पापा! मम्मा पास जाना है'।
और वक्त हार जाता।
मेरी बेटी
मुझे माफ़ करना,
तू फकत मेरी कोख से जन्मी है, मां की कोख से नहीं
तेरा बीज बोआ गया था बंजर ख़ारी ज़मीन में
अच्छा हुआ तूने जन्म न लिया और बसी रही 
अपने बाप के ज़हन में, अपनी मां की यादों को तो तुम ने देखा ही होगा
और मैं भी तुम में उसी का अक्स देखता हूं।
ख़ैर अच्छा!
मेरी बेटी!
तू भी क्या अपने बाप की तरह लिखती है?
क्या तेरी हथेली पर भी कोई गिलहरी टिकती है?
काश आज तेरी मां हमारे साथ होती।
कभी मिला उसे किसी मोड़ पर, 
किसी और वतन में या किसी और जन्म में, तो उसे ज़रूर बतउंगा
'सुनो हमारी बेटी बिलकुल तुझ जैसी दिखती है।' #बेटी #ताहिर