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क्यों डरता है समाज से, क्यों डरता है इन रीति रिवाज

क्यों डरता है समाज से,
क्यों डरता है इन रीति रिवाज से,
तोड़ दे सारी बंदिशें दुनिया की,
और थाम लो हाथ मेरा सरेआम।

अगर प्यार है तो,
क्यों छुपाता है अपने जज़्बात दिल में,
जाहिर कर के अपने अल्फाज़,
कर दे अपने प्यार का इज़हार इस सुहानी शाम मे।

यह दिल भी तो तेरी ही,
राह देख रहा है,
के तू यहांँ आए और
मुझे यहांँ से अपने आशियाने ले जाए।

थाम लो हाथ मेरा कुछ इस तरह,
के ना छोड़ना इसे ताउम्र,
बनाके रख अपनी दुल्हनिया और,
कम कर दे मेरे बाबा की चिंता।

-Nitesh Prajapati  ♥️ Challenge-970 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
क्यों डरता है समाज से,
क्यों डरता है इन रीति रिवाज से,
तोड़ दे सारी बंदिशें दुनिया की,
और थाम लो हाथ मेरा सरेआम।

अगर प्यार है तो,
क्यों छुपाता है अपने जज़्बात दिल में,
जाहिर कर के अपने अल्फाज़,
कर दे अपने प्यार का इज़हार इस सुहानी शाम मे।

यह दिल भी तो तेरी ही,
राह देख रहा है,
के तू यहांँ आए और
मुझे यहांँ से अपने आशियाने ले जाए।

थाम लो हाथ मेरा कुछ इस तरह,
के ना छोड़ना इसे ताउम्र,
बनाके रख अपनी दुल्हनिया और,
कम कर दे मेरे बाबा की चिंता।

-Nitesh Prajapati  ♥️ Challenge-970 #collabwithकोराकाग़ज़

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