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White आज मिल गई सन्दूक में ,वही पुरानी डायरी , जि

White  आज मिल गई सन्दूक में ,वही पुरानी डायरी ,
जिसके हर पन्ने पर , ख़ुद  को लिखा था मैने,

वो सूखा  हुआ  गुलाब ,आज भी महकता है,
जिसकी रंगत को कभी ,रूह से छुआ था मैंने,

बिखरे पड़े है कई ख्वाब मेरे ,लफ़्ज़ों की स्याही में,
जिनको पाने के लिए ,अश्क़ों का जाम पिया था मैने,

धड़कते दिल को संभाला था ,मचलते बच्चे की तरह,
तब कहीं जाकर , अपने  ज़ख्मों को सिया था मैंने,।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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