#ग़ज़ल ( एक मतला दो शेअर) ______ #अरशद अंसारी के क़लम से #मापनी : २१२२/११२२/११२२/२२ बाद मुद्दत के तेरे गम से मैं बाहर निकला जबकि सरमाय ए इशरत मेरे अंदर निकला //१ मुस्कुराने दो कफ ए दस्त में लेकर जां को मारने वाला मेरा अपना बिरादर निकला //२ जुअम है इतना तुझे फानी ए हस्ती पे क्यूं मौत में जबकि तेरा हिस्सा बराबर निकला //३ #स्वरचित ©® mohammadarshad17338@gmail.com Fatehpur #ग़ज़ल ( एक मतला दो शेअर) ______ #अरशद अंसारी के क़लम से #मापनी : २१२२/११२२/११२२/२२ बाद मुद्दत के तेरे गम से मैं बाहर निकला जबकि सरमाय ए इशरत मेरे अंदर निकला //१