हमें लगा जाति और ये मज़हब अब भी सिर्फ गांवो तक में सिमटा हैं पर ये तो शहरों में भी धरले से पावँ पसारा हैं माना गांव के लोग अशिक्षित हैं पर शहर में तो सब ज्ञानी हैं खुद को पढ़ा लिखा कहते पर हरकतें गंवार सा करते जब तक जाति न जाने तब तक कोई नाम इन्हें अधूरा सा लगता हैं सोचो वंहा जंहा नामी विश्वविद्यालय में पढ़ रहा होता हैं और पढ़ा रहा होता हैं और उसी विश्वविद्यालय के हॉस्टल में ऊँची जाति और क्षेत्रवाद का ख़ौफ़ बना रहता हैं sc or st वालों को तो अपने ढंग से नचाना चाहता हैं इसलिए कोई यंहा रहना ही नही चाहता हैं सोचो आरक्षण न होता तो आज भी ये sc or st को अपने पावँ के नीचे का कीड़ा -मकोड़ा समझता हर मामले में ये उनके पावँ से कुचला जाता हां ये सब मे और सब जगह नही पर हां ये तो हकीकत हैं जातिवाद अब भी जीवित हैं कुछ गिने चुने नही चाहते कि ये स्थिति बदलें इन वंचितो का भी जीवन सँवरे। ©Arun kr. #caste