ना बात करते हैं, ना साथ घूमने जाते हैं ना साथ सोते हैं, ना साथ हंसते हैं, ना साथ रोते हैं बस एक दूसरे को रुलाते हैं कैसा है, यह दांपत्य जीवन समझ ही नहीं आता किस को धोखा दे रहे हैं अपने को, अपने बच्चों को समाज को या अपने प्रभु को धन्य है, यह सात जन्मों का रिश्ता! — % & जैसा दांपत्य जीवन हमारा है, वैसा ही हमारे माता-पिता का था, और ऐसा ही हमारे बच्चों का होगा! जो हमने दांपत्य जीवन में पाया है, वही हमारे बच्चे भी पाएंगे, इस सच्चाई को जितनी जल्दी समझ लो, बेहतर है!