#कुण्डलिया छंद# ======================= 1- जिसको भी देखो कहे, दुनिया धोखेबाज। खुद के कृत्यों को मगर, करता नज़रंदाज़।। करता नज़रंदाज़, और गर्वित हो जाता। औरों को दे दोष, स्वयं को ही भरमाता।। आईना भी आज, दिखाओगे किस-किसको। दुहरे चाल-चरित्र, जहाँ भी देखो जिसको।। 2- दिखता तो कुछ और है, होता है कुछ और। दुहरे चाल चरित्र का, आया ऐसा दौर।। आया ऐसा दौर, सभी ने ओढ़े चोले। लेकिन किसकी पोल, कौन कैसे क्यों खोले।। आदर्शों की बात, जहाँ जो जैसी लिखता। क्या उस पर खुद आप, अमल वह करते दिखता।। #हरिओम श्रीवास्तव# भोपाल, म.प्र. ©Hariom Shrivastava #Flower