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खालो और जिस्म के इस बहिश्त में मैं इंसान न बन पाया

खालो और जिस्म
के इस बहिश्त में
मैं इंसान न बन पाया
कुछ बना मैं तो सिर्फ 
एक नशेड़ी
हाँ आपने सही सुना,नशेड़ी
नशा तोड़े अलग किस्म का हैं
वो एक खुश्बू का हैं
जो एक पहाड़ से आती हैं
जिसको मैं ढूंढ़ रहा हूँ
मैंने समुन्दर नहीं ढूंढा
उस नशे के लिए
क्योंकि मेरी प्यास ज़्यादा थी
जो संमदर पी कर भी न भुजती
ख़ैर क्योंकि मैं नशेड़ी हूँ
तो कुछ लक्षण भिकारी
होने के भी हैं मुझ में
अब क्योंकि मैं दोनों ही हूँ
मुझे पड़ा ही रहने दो
रास्ते का क्या जाता हैं
कोई राहगीर आये तो बताना
कोई कारवां चले तो बताना
मुझे उस पहाड़ पर
अपना जिस्म छोड़ना हैं

उज्ज्वल~

©Ujjwal Sharma खालो और जिस्म
के इस बहिश्त में
मैं इंसान न बन पाया
कुछ बना मैं तो सिर्फ 
एक नशेड़ी
हाँ आपने सही सुना,नशेड़ी
नशा तोड़े अलग किस्म का हैं
वो एक खुश्बू का हैं
खालो और जिस्म
के इस बहिश्त में
मैं इंसान न बन पाया
कुछ बना मैं तो सिर्फ 
एक नशेड़ी
हाँ आपने सही सुना,नशेड़ी
नशा तोड़े अलग किस्म का हैं
वो एक खुश्बू का हैं
जो एक पहाड़ से आती हैं
जिसको मैं ढूंढ़ रहा हूँ
मैंने समुन्दर नहीं ढूंढा
उस नशे के लिए
क्योंकि मेरी प्यास ज़्यादा थी
जो संमदर पी कर भी न भुजती
ख़ैर क्योंकि मैं नशेड़ी हूँ
तो कुछ लक्षण भिकारी
होने के भी हैं मुझ में
अब क्योंकि मैं दोनों ही हूँ
मुझे पड़ा ही रहने दो
रास्ते का क्या जाता हैं
कोई राहगीर आये तो बताना
कोई कारवां चले तो बताना
मुझे उस पहाड़ पर
अपना जिस्म छोड़ना हैं

उज्ज्वल~

©Ujjwal Sharma खालो और जिस्म
के इस बहिश्त में
मैं इंसान न बन पाया
कुछ बना मैं तो सिर्फ 
एक नशेड़ी
हाँ आपने सही सुना,नशेड़ी
नशा तोड़े अलग किस्म का हैं
वो एक खुश्बू का हैं