जाना कोई पहचाना कोई,यह सफर ही तो है,मिलता अंजाना कोई! कोई जान लेता चेहरे से दर्द ऐसे,लगता तो है यह हो दिवाना कोई!! कोई थाम लेता यूं सफर साथ चलते-चलते,खयालों में ढलते-ढलते! कोई तो ऐसे चलता राहों में जलते-जलते,जैसे हो दिवाना कोई!! लहर,आती जो है किनारे,इसके ही सहारे होती कभी-कभी जिन्दगी! जिन्दगी मुझे तो पहेली सी लगे ऐसे कभी-कभी,जैसे हो दिवावी कोई!! जाना कोई Ritika singh रोहित तिवारी । KARUNESH