जब कर्म का पहिया झुकता है , वो सिर्फ कुछ पल को ही रुकता है, कुछ पल ठहर कर, जरा सा सहम कर, वो फिर से स्वयं को ऊर्जा से भरता है,, एक बार वो फिर बढकर प्रहार करता है । वह आगे बढ़ जाता है कई गुना,जितना पीछे हटा था, आगे बढकर वो उन सब को देखता है जिन्होंने उसे कायर कहा था। हार पीछे आने में नहीं,आगे न बढ़ने में है, अभिमान उठने में नही,दूसरों को उठाने में है। जो अपनी "आकांक्षा" को सही दिशा में जगाते है, वो निश्चित ही अपने कर्मो का उचित फल पाते है। #कर्म #फल #जीवन #आकांक्षा