हे घटा तू बरस,ऐसी बरस अबके बरस। तू भीगा दे दामन मेरे साजन का। फिर झूम के बरस न बरसी हो किसी बरस। तेरी वो नमी ऐसी बस जाए तन में सबके। फिर ऐसे तरस की ना रहे आरजू की तू बरस 🙏मिलिंद जी🙏 घटा बरस