तारीफ़ में भी अब आपकी मैं क्या कहूं, जन्नत से उतरा हुआ एक जगमगता सितारा हो। राही मैं और मेरी मंज़िल बस सिर्फ़ आप, शायर मैं और मेरी शायरी बस सिर्फ़ आप ही हो। कुछ बातें अब मैं उस शख़्स के बारे में लिख दूं, जिसने मुझे फ़िर जीने की एक नई उम्मीद लिख दूं। अल्फाज़ मैं लिखता हूं पर उसमें ज़िक्र आपका कर दूं, कहानी में अब आपको मैं एक नया किरदार लिख दूं। मन करता है आज़ से अब यह दिल आपके नाम कर दूं, क्या करूं अब यह दिल भी तो आपका ही आशिक़ कर दूं। चाहत है कि अपनी महोब्बत तुमसे ही मुक्कमल कर दूं,