मां आंचल तेरा मेला होने ना दूंगा, एक बार खोया है तुझे, अब दुबारा आंच आने ना दूंगा, मां तुम भी मिट्टी है इस धरती की, सौगंध है इस मिट्टी की, आज़ादी फिर कभी नहीं छीनने दूंगा। मां आंचल तेरा मेला होने ना दूंगा, एक बार खोया है तुझे, अब दुबारा आंच आने ना दूंगा, मां तुम भी मिट्टी है इस धरती की, सौगंध है इस मिट्टी की, आज़ादी फिर कभी नहीं छीनने दूंगा।