जीवन है लेकिन जीने का भाव नहीं है जीवन है लेकिन एक बोझ की भाँती वहा सौंदर्य समृद्धि और शांति नहीं है और आनंद न हो अालोक न हो तो निश्चय ही जीवन नाम मात्र का भी जीवन नहीं है क्या हम जीवन को जीना ही तो नहीं भूल बैठे है पशु पक्षी और पौधे भी हमसे ज्यादा सघनता समृद्धि और संगीत मे जीते हुए मालूम होते हैँ ©Parasram Arora जीने का भाव