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मुकर जाती हो तुम क्यूँ जब, है होती बात बोसे की? मु

मुकर जाती हो तुम क्यूँ जब, है होती बात बोसे की?
मुझे  छूनी  तुम्हारी  रूह  है, बस  बात  इतनी  सी। इतनी सी ही तो बात है। अब कौन समझाए आपको। अगली बार जो है, मान जाना।
तुम्हारा हमेशा,

इकराश़

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कहते हैं फरवरी के ये सात दिन, मुहब्बत के सात दिन होते हैं। यूँ तो मुहब्बत का कोई दिन नहीं होता, मगर हर दिन मुहब्बत होती है।
मुकर जाती हो तुम क्यूँ जब, है होती बात बोसे की?
मुझे  छूनी  तुम्हारी  रूह  है, बस  बात  इतनी  सी। इतनी सी ही तो बात है। अब कौन समझाए आपको। अगली बार जो है, मान जाना।
तुम्हारा हमेशा,

इकराश़

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कहते हैं फरवरी के ये सात दिन, मुहब्बत के सात दिन होते हैं। यूँ तो मुहब्बत का कोई दिन नहीं होता, मगर हर दिन मुहब्बत होती है।